दीपावली पूजन और विधी
✴️ दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है, जिसे प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है। यह सबसे प्रकाशमय त्योहार है और खुशियों का प्रतीक है। दीपावली पर दीप प्रज्वलित किए जाते हैं, इसलिए इसे दीपों का उत्सव (दीप उत्सव) भी कहा जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है, जो सामान्यतः अक्टूबर या नवंबर में आती है।
दीपावली का अर्थ है "दीपों की पंक्ति"। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भारतवर्ष में हर साल इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हर घर दीपों की रोशनी से झिलमिल करता है, चाहे गरीब की झोपड़ी हो या अमीर का महल।पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम जब 14 वर्षों के वनवास के बाद लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घर-घर दीप जलाए। उसी दिन से दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
दीपावली के पांच दिन
धनतेरस: इस दिन लोग घर में नई वस्तुएं, विशेषकर सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन, खरीदते हैं। इस दिन धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
नरक चतुर्दशी:
इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। सभी घरों की सफाई और सजावट होती है।
दीपावली (मुख्य दिन):
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। हर घर में दीपक जलाए जाते हैं, मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और आतिशबाजी होती है।
गोवर्धन पूजा:
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा करने की स्मृति में पूजा होती है।
भाऊबीज:
यह भाई-बहन के प्यार का त्योहार है। बहन, भाई को तिलक लगाकर शुभकामनाएँ देती है।सामाजिक संदेश दीपावली केवल धार्मिक पर्व नहीं है, यह सामाजिक एकता और प्रेम का संदेश भी देती है। यह पर्व हमें अंधकार से प्रकाश, और अज्ञान से ज्ञान की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
दीपावली की पूजा विधि
दीपावली का मुख्य त्योहार कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर जी एवं सरस्वती जी की विधिवत पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।पूजा का शुभ समय और सामग्रीपूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद, अंधेरा होने से पहले, लगभग शाम 5:00 से 8:30 बजे तक) में करना शुभ रहता है।पूजा के लिए: चौकी या लकड़ी की पटिया, लाल कपड़ा, मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर, दीपक (तेल या घी की वाति), धूप, अगरबत्ती, फूल, माला, चंदन, हल्दी, कुंकू, अक्षत, मिठाई, पान-सुपारी, लौंग-इलायची, कलश, नारियल, मौली, जल, घी, सिक्के, खील-बताशे और फल आदि।
पूजा की विधि
घर की अच्छी तरह सफाई करें।पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश जी की स्थापना करें।पास में धन का प्रतीक मानकर सिक्के या तिजोरी रखें और उस पर स्वस्तिक बनाएं।दीप जलाकर भगवान को प्रणाम करें, चारों ओर दीप जलाएं।दाएं हाथ में जल, फूल, अक्षत लेकर प्रार्थना करें।
सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें, फिर मां लक्ष्मी को फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।लक्ष्मी जी के चरणों में सिक्के रखें।अंत में गणेश जी की आरती करें, फिर मां लक्ष्मी की।घर के सभी स्थानों पर दीपक जलाएं, जिससे वातावरण शुभ हो जाता है।पूजा के बाद सभी को मिठाइयाँ बाँटें। कुछ दीपक घर के बाहर, तुलसी के पास, और दरवाजे पर जलाएँ।पूजा विधि के समय सभी घर के सदस्य एक साथ रहें और सकारात्मक बातें करें, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।और परिवार के सुख समृद्धि प्राप्त हो इस के लिए प्रार्थना करें |
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