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मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

बैंक लोन लेने के लिए कौनसी ब्याज प्रणाली अच्छी है?


Reducing method loan example in Hindi


बैंक लोन ब्याज प्रणाली क्या होती है?

जब आप बैंक से लोन लेने जाते हैं, तो बैंक आपको उस लोन पर लगने वाली ब्याज दर, EMI राशि और लोन की अवधि (repayment period) बताता है। पूरे अवधि के दौरान आपको कितना ब्याज देना होगा, यह भी बैंक पहले ही स्पष्ट कर देता है। लेकिन यह जानना जरूरी है कि बैंक किस ब्याज प्रणाली (Interest System) के आधार पर आपका लोन दे रहा है।आइए समझते हैं कि बैंक लोन में ब्याज दर की प्रणालियाँ क्या होती हैं।

1) Simple Interest (साधारण ब्याज)

इस प्रणाली में ब्याज केवल आपके मूलधन (Principal) पर लगता है। ब्याज दर तय अवधि (महीना या साल) के हिसाब से तय रहती है। यह ब्याज दर आमतौर पर छोटे लोन जैसे — सोने पर लोन, पर्सनल लोन या शॉर्ट टर्म लोन में प्रयोग की जाती है।उदाहरण: अगर आपने ₹1,00,000 का लोन 10% ब्याज दर पर लिया है, तो आपको कुल ₹10,000 ब्याज देना होगा, EMI कैसे भी दें — ब्याज राशि नहीं बदलती।

2) Compound Interest (चक्रवृद्धि ब्याज)

इस ब्याज प्रणाली में ब्याज मूलधन के साथ-साथ पिछले वर्षों के ब्याज पर भी लगाया जाता है। यानी ब्याज “ब्याज पर भी” जुड़ता है, जिससे ऋण तेजी से बढ़ता है।उदाहरण:पहले साल ₹1,00,000 पर 10% ब्याज = ₹1,10,000दूसरे साल ब्याज ₹1,10,000 पर लगेगा = ₹1,21,000इस तरह हर साल ब्याज बढ़ता जाता है।बैंक ब्याज दर के प्रकार

1) Fixed Interest Rate (स्थिर ब्याज दर)

इस प्रणाली में लोन की पूरी अवधि में एक ही ब्याज दर लागू रहती है, जिससे EMI स्थिर (fixed) रहती है। यह लोन बजट के अनुसार योजना बनाने में आसान बनाता है।हालाँकि, अगर बाजार में ब्याज दर घट जाए, तो भी आपकी ब्याज दर समान रहती है।

2) Floating Interest Rate (परिवर्ती ब्याज दर)

इसमें ब्याज दर समय-समय पर RBI के रेपो रेट या बैंक MCLR के अनुसार बदलती रहती है।अगर ब्याज दर घटे तो EMI भी कम हो जाती है, और बढ़े तो EMI भी बढ़ जाती है।यह ब्याज प्रणाली लंबी अवधि वाले लोन जैसे होम लोन या एजुकेशन लोन के लिए बेहतर मानी जाती है।

3) Reducing Interest Rate (घटता ब्याज दर)

इस प्रणाली में ब्याज केवल बकाया राशि (Outstanding Principal) पर लगाया जाता है। जैसे-जैसे आप हर महीने EMI भरते हैं, मूलधन घटता जाता है, और उसके अनुसार ब्याज भी घटता है।इसी को Diminishing Interest Rate भी कहा जाता है।

उदाहरण:

₹1,00,000 के लोन पर 12% ब्याज दर और 1 वर्ष की अवधि हो, तो हर महीने EMI देने के बाद अगले महीने ब्याज घटे हुए बैलेंस पर लगेगा।इसके विपरीत Flat Rate Method में पूरे साल के लिए ब्याज एक ही मूलधन पर लगाया जाता है, भले ही आप लगातार EMI भर रहे हों।कौन सी ब्याज प्रणाली किस लोन के लिए बेहतर है?शॉर्ट टर्म लोन (जैसे पर्सनल या गोल्ड लोन): फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट बेहतर होती है क्योंकि EMI स्थिर रहती है।लॉन्ग टर्म लोन (जैसे होम या एजुकेशन लोन): फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लाभदायक होती है क्योंकि समय के साथ दरें घटने पर EMI कम हो सकती है।लोन लेने से पहले हमेशा बैंक या वित्तीय संस्था की ब्याज दर प्रणाली को ध्यान से समझें और तभी निर्णय लें। इससे आपको सही योजना बनाने में मदद मिलेगी और अनावश्यक ब्याज भार से बचा जा सकेगा।

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